Types of Trading in Hindi – ट्रेडिंग कितने प्रकार की होती है

Types of Trading in Hindi

अगर आप शेयर बाजार (Stock Market) में निवेश करते है, तो आपको Types of Trading के बारे में जानकारी होना बेहद आवश्यक है। यह एक शानदार तरीका है, जिसके जरिते शेयर बाजार से पैसा कमा सकते है। कुछ लोग इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading) करके एक दिन में ही मुनाफा कमा लेते है, तो कुछ लोग स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) में कुछ दिनों तक इंतजार करते हैं।

वहीं, पॉजिशनल ट्रेडिंग (Positional Trading) में लोग लंबी अवधि तक निवेश करते हैं, जबकि फ्यूचर और ऑप्शन ट्रेडिंग (Futures & Options Trading) में भविष्य की कीमतों के आधार पर निवेश किया jaata है। हालाँकि हर तरह के ट्रेडिंग में जोखिम और मुनाफा दोनों हो सकता है।

इस ब्लॉग में आपको Trading Types के बारे में विस्तार से बता रहे है, जिससे आप ये जान पाएंगे कि आपके लिए कौन-सा ट्रेडिंग तरीका सबसे अच्छा रहेगा।

ट्रेडिंग के प्रकार | Types of Trading

इस लेख में हम Types of Trading के बारे में विस्तार से उनके फायदे और नुकसान पर चर्चा करेंगे और यह भी जानेंगे कि कौन-सा ट्रेडिंग तरीका आपके लिए सबसे उपयुक्त हो सकता है।

इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading)

जब भी निवेशक एक दिन में शेयर को ख़रीदा और बेचा जाता है, तो इसे इंट्राडे ट्रेडिंग कहा जाता है। आमतौर पर इसे Day Trading भी कहा जाता है, क्युकी बाजार खुलने से लेकर बंद होने तक कि जाती है। इस ट्रेडिंग में बहुत तेजी से निर्णय लेना होता है, क्युकी कुछ ही मिनटों में शेयर की कीमतें ऊपर-नीचे होती रहती हैं।

Intraday Trading में 5 मिनट या 15 मिनट के टाइम फ्रेम देखकर निर्णय लिया जाता है। इसके साथ ही मिनटों या घंटों में इंट्राडे ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस और टारगेट सेट करना बेहद जरूरी होता है।

अगर आप Intraday Trading में सफल होना चाहते है तो टेक्निकल एनालिसिस (Technical Analysis), चार्ट पैटर्न (chart patterns) और कैंडल स्टिक पैटर्न (candle stick patterns) का ज्ञान होना जरुरी है।

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डिलिवरी ट्रेडिंग (Delivery Trading)

शेयर बाजार में निवेश करने का सबसे लोकप्रिय तरीका है, जिसको लॉन्ग-टर्म ट्रेडिंग (Long-term Trading) भी कहा जाता है। इसमें निवेशक शेयरों को लंबे समय तक होल्ड करते हैं, ताकि उनकी केएमड बढ़ने पर अच्छा मुनाफा कमाया जा सके। जब भी किसी स्टॉक की कीमर बढ़ती है तो उसको बेच कर लाभ कमाया जा सकता है।

डिलीवरी ट्रेडिंग करने के लिए आपको किसी भी कंपनी के फंडामेंटल को समझना काफी ज़रूरी हो जाता है, जिसमे कंपनी का बिज़नेस, परफॉरमेंस, प्रॉफिट/लॉस की जानकारी के लिए बैलेंस शीट शामिल है। इसमें स्टॉप लॉस (stop loss) और त्वरित लक्ष्य (quick target) को निर्धारित करने की जरूरत नहीं होती, क्योंकि निवेशक बाजार के उतार-चढ़ाव को नजरअंदाज करते हुए दीर्घकालिक वृद्धि पर ध्यान देते हैं।

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स्कैल्पिंग (Scalping Trading)

स्काल्पिंग ट्रेडिंग एक शॉर्ट-टर्म ट्रेडिंग तकनीक है, इसमें ट्रेडर अपनी पोजीशन को कुछ सेकेण्ड से कुछ मिनटों के लिए स्टॉक को होल्ड रखता हैं। इसका उद्देश्य छोटी कीमतों में होने वाले बदलाव से त्वरित लाभ कमाना होता है। स्कल्पिंग का उपयोग ज़्यादातर करेंसी ट्रेडर करते है।

स्कैल्पिंग ट्रेंडिग के में इंट्राडे ट्रेडिंग की तुलना में अधिक तेजी से निर्णय लेने की क्षमता, बाजार की अच्छी समझ और स्टॉक प्राइस में उतार-चढ़ाव की गहरी समझ होनी चाहिए। स्काल्पिंग ट्रेडिंग सिर्फ उन्ही लोगो के सही है, जो तेजी से निर्णय लेने में सक्षम होते हैं।

स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading)

स्विंग ट्रेडिंग में ट्रेडर अपनी पोजीशन को एक से सात दिन के लिए होल्ड करके मुनाफा कमा सकते हैं। अगर आप इस तरह से ट्रेडिंग करते है तो इंट्राडे ट्रेडिंग की तुलना में जोखिम कम होता है। स्विंग ट्रेडिंग करते समय ऐसे स्टॉक का चयन करना होता है जीमने लगातार उतार-चढ़ाव हो रहा है। इसके साथ ही सपोर्ट और रेजिस्टेंस की समझ होना भी जरुरी है। आमतौर पर, निफ्टी 50 (Nifty Next 50) कंपनियों के शेयर स्विंग ट्रेडिंग के लिए बेहतर माने जाते हैं।

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ऑप्शन ट्रेडिंग (Option Trading)

ऑप्शन ट्रेडिंग, डेरिवेटिव ट्रेडिंग का एक प्रमुख प्रकार है, जिसमे कॉल ऑप्शन (Call Option) और पुट ऑप्शन (Put Option) होते है। जब बाजार में तेजी होती है, तो निवेशक कॉल ऑप्शन खरीदते हैं, इसके विपरीत जब मंदी होती है तो पुट ऑप्शन का चयन करना होता है। नए निवेशक अक्सर ऑप्शन खरीदने की सलाह देते है, क्योंकि इसके लिए कम पूंजी के साथ निवेश कर सकते है। जोखिम से बचने के लिए स्टॉप लॉस का उपयोग करना बेहद ज़रूरी है।

निष्कर्ष

शेयर बाजार में निवेश और ट्रेडिंग करने के बहुत से तरीक है जैसे कि डिलीवरी ट्रेडिंग, इंट्राडे ट्रेडिंग, स्विंग ट्रेडिंग, ऑप्शन ट्रेडिंग और फ्यूचर ट्रेडिंग हैं। सही रणनीति के साथ, कोई भी निवेशक अपने लिए उपयुक्त ट्रेडिंग विकल्प चुन सकता है। शेयर मार्केट में ट्रेड करने से पहले निर्धारित करें की आप किस तरह की ट्रेडिंग करना चाहत है।

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